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सरदार सरोवर के बैकवॉटर से बाढ़ में डूबे मध्य प्रदेश के 193 गाँवों का ज़िम्मेदार कौन?

sardar sarovar floods
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बीते महीने तक मध्यप्रदेश सूखे की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था. मानसून के दौरान के जितनी बारिश की ज़रूरत थी उतनी बारिश प्रदेश को नसीब नहीं हुई थी. इस साल अगस्त के महीने में सेंट्रल इंडिया रीजन में 47 प्रतिशत तक कम बारिश हुई. आम तौर पर इस क्षेत्र में 308.8 मीमी बारिश होती है जबकि इस साल केवल 165 मिली मीटर बारिश ही क्षेत्र को नसीब हुई. 4 सितम्बर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन के महाकालेश्वर पहुँचे और उन्होंने बारिश के लिए प्रार्थना की. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगस्त का महीना लगभग सूखा गुज़रा है जिससे प्रदेश में पानी और बिजली का संकट गहरा गया है. मौसम वैज्ञानिकों का मानना था कि 5-6 सितम्बर तक मानसून ब्रेक जारी रहेगा और ऐसा हुआ भी. मध्यप्रदेश में फिर बारिश का दौर शुरू हुआ. सितम्बर के पहले हफ्ते (6 सितम्बर तक) सामान्य से 86 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई थी. वहीँ इस माह के दूसरे हफ्ते (13 सितम्बर तक) इसके ठीक उलट 153 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. चुनावी मौसम में सीएम चौहान अपनी पत्नी के साथ 11 सितम्बर को  वापस महाकाल लौटे और उन्होंने बारिश के लिए महाकाल का आभार जताया. 

बारिश का दौर और गाँवों में पानी भरना

इसके बाद सितम्बर का तीसरा हफ्ता (14 सितंबर 2023 से 20 सितंबर 2023) भारी बारिश वाला रहा. मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान प्रदेश में 134.10 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि सामान्य बारिश का आँकड़ा 37.70 मिली मीटर ही है. भारी बारिश के चलते नर्मदा नदी पर बने 6 बाँधों (बरगी, तवा, ओम्कारेश्वर, महेश्वर और सरदार सरोवर बाँध) में पानी बढ़ने लगा. नतीजतन इन बांधों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जाने लगा. 

6 big dams on narmada map
नर्मदा नदी पर बने 6 बाँध

15 सितम्बर को अकेले ओम्कारेश्वर बाँध से लगभग 42 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीँ 16 तारीख़ तक इंदिरा सागर और ओम्कारेश्वर डैम से 12.90 लाख क्यूसेक पानी सरदार सरोवर की ओर छोड़ा गया. आम तौर पर यह पानी सरदार सरोवर से होते हुए नर्मदा घाटी के निचले हिस्से में बढ़ जाता है. मगर 16 सितम्बर तक भी सरदार सरोवर से पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा गया. सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के अनुसार शनिवार 16 सितम्बर तक सरदार सरोवर में पानी का स्तर 137.32 मीटर था. इसे वह 138.68 मीटर यानि बाँध के पूर्ण जलाशय स्तर तक ले जाना चाहते थे. इस दिन बांध के 23 गेट तो खोले गए मगर वह सिर्फ 5.60 मीटर की ऊँचाई तक ही खोले गए. ध्यान रहे कि बाँध के इन गेट्स की कुल ऊँचाई 18.30 मीटर है. 

barwani flood 2023
तबाह हो चुके घर से बचा हुआ सामान निकालते ग्रामीण

जैसा की हमने बताया कि सितम्बर के दूसरे हफ्ते यानि 13 सितम्बर तक 153 प्रतिशत तक अधिक बारिश हुई थी. इसके अगले हफ्ते (20 सितम्बर तक) यह आँकड़ा 429 प्रतिशत हो गया था. केवल 16 सितम्बर की ही बात करें तो मौसम विभाग ने मध्य प्रदेश के प्रभावित इलाक़ों में भारी बारिश की चेतावनी दी थी. ऐसे में भारी बारिश और सरदार सरोवर से पर्याप्त पानी न पास होने के चलते सरदार सरोवर के बैक वाटर के रूप में पानी मध्य प्रदेश के उपर्युक्त 4 ज़िलें के नर्मदा घाटी से लगे गाँवों में घुसना शुरू हुआ. इन गाँवों में पानी इतनी तेज़ी से चढ़ा कि लोगों के पास जन बचाकर भागने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था. 17 तारीख को सरदार सरोवर से पानी छोड़ा गया तो इन गाँवों से पानी तो कम हुआ मगर तब तक बाढ़ तबाही मचा चुकी थी.

khargone floods 2023
मुरलिधर अग्रवाल अपनी बिखरी हुई दुकान पर बैठकर रद्दी समेट रहे हैं

बाँध की स्थिति के बरक्स गाँव में मचती तबाही

अपनी उम्र के 62वें साल में पहुँच चुके मुरलिधर अग्रवाल आजीविका के लिए कबाड़ का धंधा करते हैं. बिखरे हुए पुराने अखबारों को समेटते हुए वह बताते हैं कि बीते 50 सालों में भी उन्होंने ऐसी बाढ़ नहीं देखी जैसी 16 सितम्बर को आई थी. देखते ही देखते पानी खरगोन के महेश्वर में स्थित उनकी दुकान में घुस गया. पानी इतनी तेज़ी से चढ़ा कि उन्हें कुछ समझ ही नही आया. वह बताते हैं कि उन्हें बाढ़ से करीब 50 हज़ार का नुकसान हुआ है. यह उनके लिए एक बड़ी रकम है. अग्रवाल की तरह महेश्वर का लगभग हर व्यक्ति इस बाढ़ से हैरान है. महेश्वर को कभी भी सरदार सरोवर के डूब के क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया. मगर उस दिन इस शहर का बस स्टेंड भी जैसे नदी का हिस्सा हो गया हो. डूब से बाहर के ऐसे कई गाँव हैं जहाँ के बुजुर्गों ने अपने पूरे जीवन में ऐसा मंज़र नहीं देखा था. इन गाँवों पर हम इस सीरीज़ में अलग से एक कहानी प्रकाशित करेंगे.

“पानी 150 मीटर से कम नहीं था.”

खरगोन के ही एक अन्य गाँव चिचली को आँशिक रूप से डूब प्रभावित घोषित किया गया था. बारिश के दिनों में गाँव के चौक तक पानी का आना कोई नई बात नहीं थी. 16 सितम्बर को याद करते हुए सुरेन्द्र सिसोदिया (51) कहते हैं, “जब चौक तक पानी आया तब तक मैं नहीं डरा.” उस दिन पानी चढ़ने की गति का अंदाज़ा लगाते हुए वह कहते हैं “1 घंटे में पानी 50 फीट तक बढ़ गया था. तब हमें भी अपना घर छोड़ना पड़ा.” 

धार ज़िले के निमोला गाँव के विष्णु भगोरे उस दिन उनके गाँव में जलस्तर के बारे में पूछने पर कहते हैं कि पानी ‘150 मीटर से कम नहीं रहा होगा.’ विष्णु अपने परिवार को सुरक्षित निकालने में तो सफल हो गए मगर सामान और मवेशी पीछे ही छूट गए. पानी जब उतरा तब तक उनका एक बैल और 3 बकरी मर चुकी थीं. गाँव के ज़्यादातर लोगों की तरह विष्णु कच्चे मकान में रहते थे. यहाँ उन्होंने गेंहूँ और कपास आने वाले दिनों में मंडी में बेंचने के लिए रखा था. मगर अब न घर बचा है और ना ही उसमें रखा आनाज. 

Maheshwar floods 2023
महेश्वर के किले के गेट पर लगा साल 2013 की बाढ़ का निशान

विष्णु भगोरे की बात पर यकीन न करने के हमारे पास कोई भी कारण नहीं हैं. खरगोन के महेश्वर का हाल देखने पर उनकी बातों में अतिशोक्ति की संभावना और भी कम हो जाती है. महेश्वर के प्रसिद्ध किले में साल 2013 में आई बाढ़ का जल स्तर अंकित है. यह 157 मीटर का है. मगर किले में फोटो खींचने का काम करने वाले लोग हमें बताते हैं कि ‘इस बार पानी किले के गेट से भी ऊपर चलने लगा था’. हमारे साथ इस दौरान मंथन अध्ययन केंद्र के रेहमत भी मौजूद थे. वह इस निशान और गेट की ऊँचाई को देखकर अंदाज़ा लगाते हुए कहते हैं कि ‘पानी 161 मीटर के करीब रहा होगा’.   

बेखबर नागरिक डूबते गाँव

निमोला गाँव के रहने वाले त्रिलोक भगोरे 16 सितम्बर को दोपहर तक इस बात से अनजान थे कि शाम तक उनका गाँव डूब का शिकार हो जाएगा. दिन में अपने बेटे का हाथ टूट जाने पर वह पास के अस्पताल में उसका इलाज करवाने गए थे. शाम को जब वापस लौटे तो उनका घर पानी से घिरना शुरू हो गया था. वह कहते हैं, “हमें न कोई सूचना थी न कोई अंदाजा कि हमारा गाँव पानी में डूब जाएगा.” भगोरे बताते हैं कि आपदा के पहले न कोई सरकारी आदेश उनके गाँव तक पहुँचा था और आपदा के बाद न कोई सरकारी अफसर. 

प्रशासन के पास नहीं है नुकसान का कोई हिसाब

मध्यप्रदेश में नर्मदा पर होने वाले सभी विकास कार्य नर्मदा विकास प्राधिकरण (NVDA) के अधीन आते हैं. इस बाढ़ को गुज़रे हुए अब 10 दिन हो चुके हैं. मगर एनवीडीए की ओर से बाढ़ से हुए नुकसान का कोई भी आँकड़ा जारी नही किया गया है. चौकाने वाली बात यह है कि इस प्राधिकरण की एक्स (ट्विटर) टाइम लाइन पर मध्य प्रदेश सरकार की अलग-अलग योजनाओं से सम्बंधित पोस्ट दिखाई देते हैं मगर बाढ़, या फिर बांधों से पानी छोड़े जाने को लेकर कोई भी पोस्ट दिखाई नहीं देता है. इस पूरे मसले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया लेने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट ने प्राधिकरण ने मुख्य सूचना अधिकारी नीरज के आधिकारिक नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की मगर हमारे फ़ोन का उन्होंने जवाब नहीं दिया है.

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Author

  • Shishir Agrawal

    Shishir is a young journalist who like to look at rural and climate affairs with socio-political perspectives. He love reading books,talking to people, listening classical music, and watching plays and movies.

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